The best Side of Shodashi

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The ability place in the midst of the Chakra displays the very best, the invisible, and also the elusive center from which all the figure Bhandasura and cosmos have emerged.

The Sri Yantra, her geometric illustration, is a posh symbol on the universe and the divine feminine Power. It includes 9 interlocking triangles that radiate out in the central stage, the bindu, which symbolizes the origin of development as well as the Goddess herself.

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

The iconography serves like a point of interest for meditation and worship, permitting devotees to attach Together with the divine Electrical power in the Goddess.

लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः

The noose represents attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow represents the mind as well as arrows tend to be the 5 sense objects.

These gatherings are not simply about individual spirituality but also about reinforcing the communal bonds by shared encounters.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो more info जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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